ए चांद जाओ से देख वह क्या कर रही है उसे पूछ मैं याद हूं या किसी और को वह याद कर रही है कहती थी हर वक्त तुझे याद करती हूं मैं पर आज क्यों ऐसा हुआ के बरसो गुजर गया तो मुझे याद तक न करती है जब से बिछड़ गए हम दोनों आज तक हिचकियां नहीं आई ए चांद उससे यह पूछना अगर याद करती है वह मुझे तो फिर मुझे हिचकियां क्यों नहीं आती मुझे हिचकी आती थी पर अब नहीं आती नहीं सकता था तो जुबां पर नाम टेढ़ी होती थी ऐ सनम तू बता आज तू कहां बस गई है मेरी इस दुनिया को तू बिरहा क्यों कर गई है क्यों तेरे हिस्से में कोई और आ गया तू तूने अपना वादा तोड़ कर किसी और को बसा ले आए चांद उनसे यह पूछना मैंने उनसे क्या जुर्म किया था चांद उससे पूछना मैंने उनसे क्या खता की थी गलतियां तो खुदा भी माफ करते हैं पर वह मुझे क्यों छोड़ गई बिछड़ गया कुछ इस तरह से क्योंकि धुंधली तस्वीर भी नजर नहीं आई बिछड़ा हुआ सनम मुझे फिर याद ना आए.